Loading...
loading

गोवर्धन पूजा 2023: तिथि, समय और महत्व अन्नकूट उत्सव के साथ

  • Home
  • Blog
  • गोवर्धन पूजा 2023: तिथि, समय और महत्व अन्नकूट उत्सव के साथ

गोवर्धन पूजा 2023: तिथि, समय और महत्व अन्नकूट उत्सव के साथ

गोवर्धन पूजा 2023 भारत में तिथि और समय

  • तिथि: मंगलवार, 14 नवंबर, 2023
  • समय: सुबह 6:48:41 से 8:56:40 AM (IST)

Appointment

गोवर्धन पूजा का महत्व

गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म का एक त्योहार है जो कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। इसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। यह त्योहार भगवान कृष्ण की देवराज इंद्र पर विजय को मनाने के लिए मनाया जाता है।

पौराणिक कथा के अनुसार, इंद्र गोकुल के लोगों से नाराज थे जो उन्हें नहीं पूजते थे। उन्होंने उन्हें दंड देने के लिए भारी बारिश और आंधी भेजी। कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर गोकुल के लोगों को बारिश से बचाया। इंद्र को अपनी गलती का एहसास हुआ और कृष्ण से माफी मांगी।

गोवर्धन पूजा प्रकृति और उसकी उदारता का उत्सव है। यह प्रकृति के उपहारों, विशेष रूप से भोजन के लिए धन्यवाद देने का समय है। इस दिन, लोग गोवर्धन पर्वत को प्रार्थना करते हैं, जिसे कृष्ण का प्रतीक माना जाता है। वे गायों को भी प्रार्थना करते हैं, जिन्हें हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है।

Appointment

गोवर्धन पूजा की तैयारी

गोवर्धन पूजा के दिन, लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं। फिर वे अपने घरों को साफ करते हैं और उन्हें फूलों और रंगोली से सजाते हैं। वे मिठाइयां, नमकीन और फल सहित विभिन्न प्रकार के व्यंजन भी तैयार करते हैं।

गोवर्धन पूजा की विधि

सुबह, लोग मंदिर या सामुदायिक केंद्र में एकत्र होते हैं। वे गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते हैं। वे गायों को भी प्रार्थना करते हैं।

पूजा के बाद, लोग अपने द्वारा तैयार किए गए व्यंजनों का आनंद लेते हैं। वे एक-दूसरे को उपहार भी देते हैं।

Appointment

गोवर्धन पूजा के नियम

गोवर्धन पूजा के कुछ महत्वपूर्ण नियम निम्नलिखित हैं:

  • गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है। इस पर्वत को फूलों से सजाया जाता है।
  • गोवर्धन पूजा के दौरान धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल आदि चढ़ाए जाते हैं।
  • गोवर्धन पूजा के दिन गाय-बैल और कृषि काम में आने वाले पशुओं की पूजा की जाती है।
  • गोवर्धन पूजा के बाद गोवर्धन पर्वत की सात परिक्रमाएं लगाई जाती हैं।

गोवर्धन पूजा पर होने वाले आयोजन

गोवर्धन पूजा के दिन देशभर के मंदिरों में धार्मिक आयोजन और अन्नकूट यानि भंडारे होते हैं। पूजन के बाद लोगों में भोजन प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा लगाने का भी बड़ा महत्व है।

Appointment

गोवर्धन पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा

गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोकुलवासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को उठाकर इंद्र के प्रकोप से बचाया था। इस दिन गोवर्धन पर्वत, गाय और भगवान श्री कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है।

गोवर्धन पूजा से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय देवराज इंद्र को अपनी शक्तियों पर अभिमान हो गया था। उन्होंने सोचा कि वह ही सारे देवताओं के राजा हैं और उनसे बड़ा कोई नहीं है। इंद्र ने गोकुल के लोगों को आदेश दिया कि वे इस वर्ष केवल उनकी ही पूजा करें और गोवर्धन पर्वत की पूजा न करें। गोकुल के लोग इंद्र के आदेश का पालन नहीं करना चाहते थे। उन्होंने कहा कि गोवर्धन पर्वत ही उनकी रक्षा करता है और वह उनकी पूजा करना जारी रखेंगे।

इंद्र को गोकुल के लोगों की बात सुनकर क्रोध आ गया। उन्होंने गोकुल पर मूसलाधार बारिश शुरू कर दी। बारिश इतनी तेज थी कि गोकुल के लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे थे। उन्हें डर था कि वे बारिश में बह जाएंगे।

इस समय भगवान श्री कृष्ण ने गोकुल के लोगों की मदद करने का फैसला किया। उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी सी अंगुली पर उठा लिया और गोकुल के लोगों को पर्वत के नीचे ले गए। 7 दिनों तक लगातार मूसलाधार बारिश के बावजूद गोकुल के लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।

इंद्र को यह देखकर हैरानी हुई कि गोकुल के लोग सुरक्षित हैं। उन्हें समझ आ गया कि गोकुल के लोग भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते हैं और भगवान श्री कृष्ण ने उनकी रक्षा की है। इंद्र ने भगवान श्री कृष्ण से क्षमा मांगी और उनकी पूजा की।

इस घटना के बाद से हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा मनाई जाती है। इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है और गोकुल के लोगों ने जिस प्रकार भगवान श्री कृष्ण की पूजा की थी, उसी प्रकार गोवर्धन पर्वत की सात परिक्रमाएं लगाई जाती हैं।

Appointment

गोवर्धन पूजा पर अन्नकूट उत्सव

गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्री कृष्ण को 56 तरह के व्यंजन का भोग लगाया जाता है। इन व्यंजनों में बाजरे की खिचड़ी, तेल की पूड़ी, दूध से बनी मिठाई, स्वादिष्ट पकवान आदि शामिल होते हैं। इन व्यंजनों को मिलाकर एक मिश्रण बनाया जाता है, जिसे अन्न कूट कहा जाता है।

अन्न कूट का अर्थ है अनाज का मिश्रण। इस मिश्रण में विभिन्न प्रकार के अनाज, जैसे बाजरा, चावल, गेहूं, जौ, मूंग, उड़द आदि शामिल होते हैं। इन अनाजों को अच्छी तरह से धोकर साफ किया जाता है और फिर इन्हें मिलाकर उबाला जाता है। उबालने के बाद इन अनाजों को ठंडा करके उन्हें दूध, चीनी और घी के साथ मिलाकर एक मिश्रण बनाया जाता है। इस मिश्रण को भगवान श्री कृष्ण को भोग के रूप में चढ़ाया जाता है।

अन्न कूट का आयोजन मंदिरों में किया जाता है। इस अवसर पर मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। पूजन के बाद अन्न कूट को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में बांटा जाता है।

अन्न कूट के आयोजन का उद्देश्य प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करना है। प्रकृति हमें अनाज प्रदान करती है, जो हमारे जीवन के लिए आवश्यक है। अन्न कूट का प्रसाद ग्रहण करके हम प्रकृति के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं।

अन्न कूट के साथ-साथ गोवर्धन पूजा के दिन अन्य कई धार्मिक आयोजन भी किए जाते हैं। इन आयोजनों में भजन-कीर्तन, प्रवचन, भंडारा आदि शामिल हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *