।। श्री गणेशाय नमः । ।
।। अथ एकादशी व्रत माहात्म्य – भाषा ।।
भारत में धर्म एक महत्वपूर्ण विषय है जो लोगों के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हिंदू धर्म में, एकादशी एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है जो हर महीने मनाया जाता है। यह त्योहार बहुत धार्मिक महत्व रखता है और हिंदू धर्म के अनुयायी इस त्योहार को बहुत उत्साह से मनाते हैं। इस ब्लॉग में, हम इस महीने की एकादशी के बारे में बात करेंगे जिसे कब मनाया जाता है और इसका धार्मिक महत्व क्या है। तो चलिए शुरू करते हैं इस महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार के बारे में जानना।
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एकादशी क्या होती है? एक संक्षेप में जानें
एकादशी, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि है जो हर माह में दो बार प्रतिष्ठित होती है। एकादशी का शब्दिक अर्थ होता है “ग्यारह” और इसे हिन्दू कैलेंडर के अनुसार गणना किया जाता है। यह तिथि हिन्दू धर्म में व्रत और पूजा का महत्वपूर्ण दिन मानी जाती है।
एकादशी हिन्दू संस्कृति में प्राचीनतम और पवित्र व्रतों में से एक है। इस दिन विशेष आहार, विश्राम, और ध्यान के साथ व्रत रखा जाता है। यह व्रत अपने मन और शरीर को शुद्ध करने का एक माध्यम माना जाता है और इसे करने से धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
एकादशी को विभिन्न नामों से भी जाना जाता है, जैसे वैष्णवों में “एकादशी तिथि”, शैवों में “प्रदोष व्रत” और सौरभानंदी संप्रदाय में “मोहिनी एकादशी”।
एकादशी का महत्व धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से आवश्यक होता है।
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कौन सी एकादशी इस महीने है?
Ekadashi Kab Hai: सूतजी बोले- बारह महीनों में कुल चौबीस और अधिक मास (लौंद) में दो एकादशी अथिक होती हैं- इस तरह से २६ एकादशियाँ होती हैं, उनके नाम मैं कहता हूँ, आप सावधानी से सुनिये
- उत्पन्ना एकादशी
- मोक्षदा एकादशी
- सफला एकादशी
- पुत्रदा एकादशी
- षटतिला एकादशी
- जया एकादशी
- विजया एकादशी
- आमलकी एकादशी
- पापमोचनी एकादशी
- कामदा एकादशी
- वरुथिनी एकादशी
- मोहिनी एकादशी
- अपरा एकादशी
- निर्जला एकादशी
- योगिनी एकादशी
- देवशयनी एकादशी (वैष्णव)
- कामिका एकादशी
- पवित्रा एकादशी
- अजा एकादशी
- पदमा एकादशी
- इन्दिरा एकादशी
- पापांकुशा एकादशी (वैष्णव)
- रमा एकादशी
ये १२ महीनों की २४ एकादशियों के नाम हैं। अधिक मास में पदिमनी और परमा ये दो एकादशियां होती हैं, ये सब नाम के अनुसार फल देने हैं वाली हैं इनकी कथा सुनने से इनके फलों का अच्छी तरह ज्ञान हो जाएगा। यदि एकादशी का व्रत तथा उद्यापन की शक्ति न हो तो इनके नाम का कीर्तन करने से ही शीघ्र फल प्राप्ति हो जाएगी।
‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश मन्त्र का जाप करें।
यह तिथि मास में दो बार आती है। एक पूर्णिमा होने पर और दूसरी अमावस्या होने पर। पूर्णिमा से आगे आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के उपरान्त आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं।
एकादशी व्रत में पारण का विशेष महत्व है। मान्यता है कि एकादशी व्रत का पारण अगर विधिवत न किया जाए तो व्रत का पूर्ण लाभ नहीं मिलता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि को किया जाता है।
एकादशी व्रत का एक नियम यह भी है कि एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चावल खाने से व्यक्ति अगले जन्म में सरीसृप का रूप धारण कर लेता है । एकादशी व्रत के पारण पर चावल जरूर खाना चाहिए. एकादशी व्रत के दिन चावल खाना मना होता है, लेकिन द्वादशी के दिन चावल खाना उत्तम माना जाता है ।
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एकादशी का महत्व
एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस व्रत को करने से कई लाभ होते हैं। इस व्रत से पापों का नाश होता है, मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं, और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
एकादशी व्रत का विधि-विधान
एकादशी व्रत करने के लिए सबसे पहले द्वादशी के दिन रात्रि में व्रत का संकल्प लिया जाता है। इसके बाद एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन केवल फलाहार किया जाता है। द्वादशी के दिन सुबह पूजा-अर्चना करके व्रत का पारण किया जाता है।
एकादशी व्रत के नियम
एकादशी व्रत के कुछ नियम हैं, जिन्हें ध्यान में रखना चाहिए:
- एकादशी के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- इस दिन क्रोध, लोभ, मोह आदि बुरे विचारों से बचना चाहिए।
- इस दिन कड़वी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
- एकादशी के दिन उपवास रखना चाहिए और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
- एकादशी के दिन रात्रि में भगवान विष्णु की कथा सुननी चाहिए।
- एकादशी व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद करना चाहिए।
- पारण के समय तुलसी के पत्ते खा कर करना चाहिए।
एकादशी व्रत के प्रभाव
एकादशी व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में कई सकारात्मक परिवर्तन होते हैं। इस व्रत से व्यक्ति को निम्नलिखित लाभ होते हैं:
- पापों का नाश होता है।
- मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।
- मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- आरोग्य लाभ होता है।
- धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
- सुख-शांति का वास होता है।