2023 में भारत में लगने वाला एकमात्र चन्द्रग्रहण खण्डग्रास होगा। यह ग्रहण 28 अक्टूबर, 2023 को मध्यरात्रि को लगेगा।
ग्रहण की मुख्य विशेषताएं:
- यह ग्रहण भारत में पूर्ण रूप से दिखाई देगा।
- ग्रहण का स्पर्शकाल 1:05Am बजे, मध्यकाल 01:44 Am बजे और मोक्षकाल 02:24 Am बजे होगा।
- ग्रहण की अवधि 1 घंटा 19 मिनट होगी।
- ग्रहण का ग्रासमान 0.126 है, जो लगभग 13 प्रतिशत है।
ग्रहण का दृश्य:
भारत में जब 28 अक्टूबर, 2023 को मध्यरात्रि 1 बजकर 05 मिनट पर यह चन्द्रग्रहण शुरु होगा, उस समय तक सम्पूर्ण भारतवर्ष में चन्द्र-उदय हो चुका होगा। भारत के सभी नगरों / ग्रामों में 28 अक्टूबर को सायं 4 बजे से सायं 6 बजे तक चन्द्रोदय हो जाएगा तथा यह खण्डग्रास चन्द्रग्रहण 28 अक्टूबर की रात्रि 01:05 बजे से प्रारम्भ होकर रात्रि 02:24 बजे (अर्थात् 2 बजकर 24 मिंट) पर समाप्त (मोक्ष) होगा। भारत के सभी नगरों में इसका प्रारम्भ, मध्य तथा मोक्ष रूप देखा जा सकेगा।
ग्रहण का सूतक:
इस ग्रहण का सूतक 28 अक्टूबर, 2023 को सायं 4 बजकर 05 मिनट (16:05) पर प्रारम्भ हो जाएगा।
ग्रहण-काल तथा बाद में क्या करें ?
- ग्रहण के सूतक एवं ग्रहणकाल में स्नान, दान, जप-पठ, मन्त्र- जाप, मन्त्र-सिद्धि, तीर्थस्नान, ध्यान, हवनादि शुभ कृत्यों का सम्पादन करना कल्याणकारी होता है।
- धार्मिक लोगों को ग्रहणकाल अथवा 28 अक्तूबर के सूर्यास्त के बाद अपनी राश्यानुसार अथवा ब्राह्मण के परामर्शानुसार दान योग्य वस्तुओं का संग्रह करके संकल्प कर लेना चाहिए।
- अगले दिन 29 अक्तू., 2023 ई. को प्रातः सूर्योदय के समय पुनः स्नान करके संकल्पपूर्वक सामग्री/ वस्तुएँ योग्य ब्राह्मण को दान देना चाहिए।
- पुत्र की उत्पत्ति, यज्ञ, सूर्य-संक्रान्ति और सूर्य-चन्द्र के ग्रहण में रात में भी स्नान करना चाहिए। सूतक एवं ग्रहणकाल में मूर्ति स्पर्श करना, अनावश्यक खाना-पीना, मैथुन, निद्रा, नाखून काटना, तैलाभ्यंग वर्जित है।
- झूठ-कपटादि, वृथा अलाप, मूत्र-पुरीषोत्सर्ग से परहेज़ करना चाहिए।
- सूतककाल में बाल, वृद्ध, रोगी एवं गर्भवती स्त्रियों को यथानुकूल भोजन या दवाई आदि लेने में दोष नहीं।
- ग्रहण/सूतक से पहले ही दूध/दही, आचार, चटनी, मुरब्बा में कुशातृण रख देना श्रेयस्कर होता है। इससे ये दूषित नहीं होते। सूखे खाद्य पदार्थों में कुशा डालने की आवश्यकता नहीं।