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दीपावली में लक्ष्मी के साथ गणेश जी की स्थापना व पूजा का मर्म यह है कि जीवन में उन्नत्ति के लिए विघ्न-वाधाओं से बचना बहुत आवश्यक है। गणपति जी के प्रसन्न हो जाने पर विघ्नहर्ता बनकर प्रगति का पथ प्रशस्त करते हैं। साथ ही वह बुद्धि के भी देवता हैं।
समृद्धि आने पर भी विवेक बना रहे, इसके लिए गणेश जी की अनुकम्पा आवश्यक है। दीपावली पूजन में लक्ष्मी के शास्त्रीय रूप का ध्यान करने से ही साधना सफल होती है, इनका बीज मन्त्र है 'श्री' इसके अन्तर्गत यह भाव है कि धन-सम्पत्ति तुष्ठि-पुष्ठि का नाश करें।
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हिमालय के समान विशाल और उज्ज्वल चार हाथी अपनी सूडों में उठाये हुए अमृत क्लशों से अमृत धारा द्वारा स्वर्ण के समान देह कांतिवाली भगवती श्री का अभिषेक कर रहे हैं। भगवती अपने दायें हाथ में कमल, नीचे के हाथ में मुद्रा तथा वायें ऊपरी हाथ में यज्ञ, नीचे के हाथ में अभय मुद्रा धारण किये हुए हैं, इनके मस्तक पर उज्ज्वल रत्न मुकुट है, पंटट वस्त्र धारण किये हुए हैं, वे कमल के ऊपर विराजमान है, उनकी मैं वंदना करता हूं।
पुराणों में लिखा है कि जिस घर में सदा कलह रहती है, लक्ष्मी उसे त्याग देती है। इसलिए परिवार में एकता बनाये रहना चाहिए।
दीपावली में लक्ष्मी जी के साथ भगवती काली और सरस्वती का पूजन भी है, यह तीनों महाशक्तियां ही इस त्रिगुणात्मक विश्व का नियंत्रण करती हैं। तिजोरी में देवताओं का कोषाध्यक्ष 'कुबेर' कां पूजन भी दीपावली के दिन ही होता है।
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- गणेश जी की पूजा का महत्व:
गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है। इसलिए इनकी पूजा करने से सभी विघ्न बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। गणेश जी बुद्धि और ज्ञान के भी देवता हैं। इसलिए इनकी पूजा करने से विवेक बढ़ता है और धन का सदुपयोग होता है।
- लक्ष्मी जी की पूजा का महत्व:
लक्ष्मी जी को धन, ऐश्वर्य और वैभव की देवी कहा जाता है। इसलिए इनकी पूजा करने से घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती है। लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है।
दीपावली में लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा के लाभ
- लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करने से घर में धन-धान्य और सुख-समृद्धि आती है।
- सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
- बुद्धि और ज्ञान की वृद्धि होती है।
- पारिवारिक सुख-शांति बनी रहती है।
लक्ष्मी और गणेश जी की प्राचीन कथा
प्राचीन कथा के अनुसार माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से एक चर्चा करते समय यह कहा था कि मैं धन-धान्य, ऐश्वर्य सभी चीजों का वरदान देती हूं। मेरी कृपा से ही सभी भक्तों सुख की प्राप्ति होती है। ऐसे में मेरी पूजा सबसे सर्वश्रेष्ठ होनी चाहिए। भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी के इस अहंकार को जान लिया और इसे तोड़ने का फैसला किया। भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी से कहा कि आप भले ही सुख, समृद्धि प्रदान करती हैं, लेकिन किसी भी स्त्री को मातृत्व का सुख न मिलने से उसका नारीत्व अपूर्ण रह जाता है। इसलिए आपकी पूजा सर्वश्रेष्ठ नहीं मानी जा सकती है।
यह बात सुनकर मां लक्ष्मी बहुत निराश हुईं और माता पार्वती के पास अपनी व्यथा सुनाने पहुंची। मां लक्ष्मी की पीड़ा को देखते हुए माता पार्वती ने अपने पुत्र गणेश को उन्हें दत्तक पुत्र के रूप में सौंप दिया। इस बात से प्रसन्न होकर माता ने यह घोषणा की कि व्यक्ति को लक्ष्मी के साथ गणेश जी की उपासना करने से ही धन, ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी। तभी से दिवाली पर पर माता लक्ष्मी के साथ गणेश जी की पूजा की जाती है।
दिवाली पर अन्य देवी-देवताओं की पूजा
दिवाली पर लक्ष्मी जी के साथ-साथ भगवती काली और सरस्वती की भी पूजा की जाती है। भगवती काली को शक्ति का अवतार माना जाता है। उनका मानना है कि भगवती काली की पूजा करने से मनुष्य को शक्ति